Kavi Haridev
कवि हरिदेव
कवि हरिदेव तत्कालीन समाज में प्रसिद्ध परिवार से संबंध रखते थे और इनके परिवार को समाज में बहुत प्रतिष्ठा प्राप्त थी। कवि हरिदेव के पिता का नाम चंगदेव और माता का नाम चित्रा था। कवि का समय प्राप्त प्रमाणों, तथ्यों और अनुमान के आधार पर 13वीं शताब्दी और 14वीं शताब्दी के मध्य माना जा सकता है।
कवि की एकमात्र रचना मयणपराजय चरिउ उपलब्ध है। इस ग्रंथ में 2 परिच्छेद हैं और इसमें 118 कड़वक हैं। यह छोटा सा रूपक खंडकाव्य है। कवि ने इसमें कामदेव को जीतने का सरस वर्णन नाट्य शैली में किया है। इसमें कामदेव राजा, मोह मंत्री, अहंकार, अज्ञान आदि सेना एक ओर दूसरी ओर राजा जिनराज और उनके साथियों में दर्शन, ज्ञान, चरित्र आदि रूप से वर्णन किया गया है। इसे युद्ध का रूप देकर के अंत में जिनराज राजा का मुक्ति रूपी कन्या से विवाह संपन्न कराया है। साथ ही प्रसंगवश गुणस्थान, व्रत, समिति, गुप्ति, षड आवश्यक, ध्यान आदि का भी चित्रण प्राप्त होता है।